Friday, October 22, 2010

बात वो कब की भुला दी हमने

अब के यूं दिल को सज़ा दी हमने
उसकी हर बात भुला दी हमने

एक एक फूल बहुत याद आया
शाख-ए-गुल जब वो जला दी हमने

आज तक जिस पे वो शर्माते हैं
बात वो कब की भुला दी हमने

शहर-ए-जहां राख से आबाद हुआ
आअज जब दिल की बुझा दी हमने

आज फिर याद बहुत आया वो
आज फिर उसको दुआ दी हमने

कोई तो बात है उस में
हर ख़ुशी जिस पे लुटा दी हमने

--फैज़ अहमद फैज़

2 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल .......दिल से मुबारकबाद|

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  2. फैज साहब की ग़ज़ल का जवाब नहीं।

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