किसी को अपना करीबी शुमार क्या करते
वो झूठ बोलते थे, ऐतबार क्या करते
पलट के लौटने में पीठ पर लगा चाकू
वो गिर गया था, तो फिर उस पे वार क्या करते
गुजारनी ही पड़ी सांसें पतझड़ों के बीच
जो तू ही नहीं था, तो जान-ए-बहार क्या करते
दिए जलाना मोहब्बत के, अपना मज़हब है
हम जैसे लोग अँधेरे शुमार क्या करते
ख़याल ही नहीं आया, है ज़ख्म ज़ख्म बदन
जो चाहते थे तुझे, खुद से प्यार क्या करते
मिजाज़ अपना है, तूफ़ान को जीतना लड़ कर
उतर गया था, वो दरिया तो क्या करते
कुछ एक दिन में गज़ल से लड़ा ली आँखें
तमाम उम्र तेरा इंतज़ार क्या करते
--तुफैल चतुर्वेदी
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Thursday, October 21, 2010
क्या करते
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ख़याल ही नहीं आया, है ज़ख्म ज़ख्म बदन
ReplyDeleteजो चाहते थे तुझे, खुद से प्यार क्या करते
dil ko chho lene waali lines...
shukriya pooja...
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