क्या करूँ ज़िक्र-ऐ-ज़ज्बात सबके सामने,
मुझसे होती नहीं तेरी बात सबके सामने.
ये तनहाई मुझे मेरी याद दिला देती है,
होती नहीं खुद से मुलाक़ात सबके सामने....
--अज्ञात
मुझसे होती नहीं तेरी बात सबके सामने.
ये तनहाई मुझे मेरी याद दिला देती है,
होती नहीं खुद से मुलाक़ात सबके सामने....
--अज्ञात
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