Sunday, May 30, 2010

खंजर तेरे से अब मेरा सर क्यों नहीं

खंजर तेरे से अब मेरा सर क्यों नहीं जाता,
शर्मिंदा हूँ मैं डूब के मर क्यों नहीं जाता,

दिल टूट गया जिस्म में फिर दिल नहीं रहा,
गुज़रा हूँ परेशानी से गुज़र क्यों नहीं जाता

--अज्ञात

1 comment:

  1. bahut badhia engineer saheb, keep it up
    have anytime pls visit my blog www.mainratnakar.blogspot.com
    regards
    ratnakar tripathi

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