Sunday, May 16, 2010

मगर ये सच है कि उम्मीद्वार मैं भी हूँ

वो एक तीर है जिसका शिकार मैं भी हूँ
मैं एक हर्फ़ सही दिल के पार मैं भी हूँ

वो सामने रहा दरिया का दूसरा साहिल
अगर जहाज़ न डूबा तो पार मैं भी हूँ

यहाँ तो मौत का सैलाब आता रहता है
बहुत बचा था, मगर अब कि बार मैं भी हूँ

न जाने किसके मुकद्दर में वो लिखा होगा
मगर ये सच है कि उम्मीद्वार मैं भी हूँ

किसे खबर है कि नीले समन्दरों की तरह
बहुत दिनों से बहुत बेकरार मैं भी हूँ

--राहत इंदोरी

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