Monday, February 28, 2011

मुर्दा बदन में ज़िंदा अरमान रहे होंगे

क़दमों की आहटों से अनजान रहे होंगे
ये रास्ते कभी तो सुनसान रहे होंगे

आँखों से लाश की यूं आंसू नहीं निकलते
मुर्दा बदन में ज़िंदा अरमान रहे होंगे

मर कर भी, मोहब्बत को जिंदा रखा है, जिन्होंने
वो लोग, कितने, भोले नादान रहे होंगे

दुनिया की भीड़ से, जो हट कर हैं, उन्हें पढ़ लो
हम पूजते हैं जिनको इंसान रहे होंगे

साहिल पे नाव कोई यूं ही, नहीं डुबोता
उस नाखुदा के दिल में तूफ़ान रहे होंगे

देता है नूर जल कर चाँद और सितारों को
सूरज पे, शाम-ओ-शब के एहसान रहे होंगे

--सूरज राय

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