Monday, February 7, 2011

एक सुकून इस दिल को नसीब नहीं होता

एक सुकून इस दिल को नसीब नहीं होता
बाकी तो मोहब्बत में कुछ अजीब नहीं होता

हिज्र में तो आँखों में कट जाती थी रातें
सोना मगर वस्ल में भी नसीब नहीं होता

बहुत सुकून रहता है जिंदगी में
मोहब्बत में जब कोई भी रकीब नहीं होता

तेरा ख़याल आते ही मीर याद आ जाता है
तू पास होती है जब कोई भी करीब नहीं होता

--अमोल सहारन

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