एक सुकून इस दिल को नसीब नहीं होता
बाकी तो मोहब्बत में कुछ अजीब नहीं होता
हिज्र में तो आँखों में कट जाती थी रातें
सोना मगर वस्ल में भी नसीब नहीं होता
बहुत सुकून रहता है जिंदगी में
मोहब्बत में जब कोई भी रकीब नहीं होता
तेरा ख़याल आते ही मीर याद आ जाता है
तू पास होती है जब कोई भी करीब नहीं होता
--अमोल सहारन
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