प्यास की कैसे लाये ताब कोई
न हो दरिया तो हो शराब कोई
रात बजती थी दूर शेहनाई
रोया पी के बहुत शराब कोई
कौन सा ज़ख्म किसने बक्शा है
इसका रखे कहाँ तक हिसाब कोई
फिर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की
आने वाला है फिर अज़ाब कोई
--जावेद अख्तर
सच में दिल को छु जाने लाला संग्रह :D
ReplyDeleteप्रेम प्रार्थना की तरह , एक मंदिर एक दीप