Friday, January 7, 2011

वो लड़की घरेलु थी, मैं लड़का आवारा था

दोनों के दिल टूटने का तगड़ा इशारा था
वो लड़की घरेलु थी, मैं लड़का आवारा था

मरने का दरिया बीच जाते किसलिए
डूबने को अपने काफी ये किनारा था

नाराज़गी दुनिया से गलत नहीं मेरी
वो भी नहीं मिला जो हक जायज़ हमारा था

दुःख झेल लिए सारे ख़्वाबों में ही हमने
जिंदगी में तो सदा दिलकश ही नज़ारा था

वक्त बदलने से फितरत नहीं बदलती
दिल आज भी नाकारा है, ये कल भी नाकारा था

--अमोल सहारन

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