रिश्ते अटूट भी देखना टूट जायेंगे
रफ्ता रफ्ता सारे ग़म छूट जायेंगे
चलो देखते हैं आज बाज़ी पलट कर
जब वो आयेंगे तो हम रूठ जायेंगे
उठते तो है प्यार के पर उम्र कम है
बुलबुले ये ... हवा में फूट जायेंगे
नहीं होते इनके पांव तो क्या हुआ
देखना बहुत दूरतक ये झूठ जायेंगे
आएगा गुबार बाहर अश’आर बनकर
नीचे हलक़ के जब कुछ घूँट जायेंगे
तुम मुतमईन चुराकर दिल ‘अमित’ का
पर महफिलें तेरी ये हम लूट जायेंगे
--अमित हर्ष
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