Sunday, August 28, 2011

अब तो इस कदर बेगैरतें बढ़ गयी है फ़राज़

अब तो इस कदर बेगैरतें बढ़ गयी है फ़राज़
शेर किसी का हो नाम मेरा ठोक देते है

--अज्ञात

3 comments:

  1. ये अहमद फ़राज़ की रचना है

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    1. Zaroori nahi jahan faraaz ho vo ahmad faraaz ne hi likhaa ho....

      Read the second line....

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    2. Zaroori nahi jahan faraaz ho vo ahmad faraaz ne hi likhaa ho....

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