Sunday, April 10, 2011

ना हमने बुलाया था तो तुम ही बुला लेते

रिश्तों की हकीकत ये कुछ ऐसे निभा लेते
ना हमने बुलाया था तो तुम ही बुला लेते

दिल में शिकवे थे अगर आते तो कभी एक दिन
कुछ तुम भी कह लेते कुछ हम भी सुना लेते

गुमसुम से ना रहते फिर रातों में अक्सर
डरते जो कभी ख्वाबों में हम तुम को बुला लेते

उजड़ा सा है आँगन भी, है बिना लिपा चूल्हा
तुम साथ अगर होते इस घर को सजा लेते

ना हमने बुलाया था तो तुम ही बुला लेते
कुछ तुम भी कह लेते कुछ हम भी सुना लेते.....

--अज्ञात

1 comment:

  1. ओशो सिद्धार्थ कहते हैं-
    यदि थोड़ा भी हो रस बाक़ी
    कर पहल दोस्ती कर लेना
    सौ तीरथ जाने से अच्छा
    इक रूठा यार मना लेना!

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