मुझे मालूम है तेरे घर का पता
कहाँ है मेरा आशियाना क्या पता
ख़ुदकुशी ही कहीं दुश्वारियों का हल तो नहीं ?
ये इश्क ही न हो मौत का बहाना क्या पता
हर एक को राज़-ए-दिल बता देता है
ये लड़का कब होगा सयाना क्या पता
यु ही बेड के साथ हो लिए हम भी
किस की जीत का है जयकारा क्या पता !!
--अमोल सहारन
बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|
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