Thursday, June 13, 2019

पर हमें प्यार अभी से ढेर सारा आ रहा है

ये दिल फिर तुम पर हमारा आ रहा है
एक मोदी ही नहीं जो दुबारा आ रहा है

आते आते आता है आदाब-ए-इश्क़ यूँ तो
पर हमें प्यार अभी से ढेर सारा आ रहा है

वो गली वो घर कब का छोड़ चुके हैं हम
जिस पते पर अब ख़त तुम्हारा आ रहा है

ख़ुद ब ख़ुद धुल गईं हैं आँखें अश्क से
अब साफ़ नज़र हर नज़ारा आ रहा है

अब चाँद से होंगे मुख़ातिब रात तमाम
सूरज तो सुबह का थका हारा आ रहा है

तुमने तो कहा था रखना अपना ‘अमित’
पर ख़्याल क्यूँ रह रहकर तुम्हारा आ रहा है

--अमित हर्ष

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