Sunday, June 29, 2014

फिर मेरा जुर्म भी लोगों को बताया होगा

लव्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आखिरी ख़त मेरा जलाया होगा

यूँही कुछ सोच लिया होगा बिछड़ने का सबब
फिर मेरा जुर्म भी लोगों को बताया होगा

तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा

तूने किस नाम से बदला है मेरा नाम बता
किसको लिखा तो मेरा नाम मिटाया होगा

खलील उर रहमान 'कमर'

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