खामोशी को पकड़ रहा है तू
सबकी आँखों में गढ़ रहा है तू
उसकी बातों में गोल चक्कर है
किसके चक्कर में पड़ रहा है तू
क्या हुआ क्यूं झुकाए है नज़रें
बात क्या है बिगड़ रहा है तू
ठीक है हो गया जो होना था
क्या सही है जो लड़ रहा है तू
--अर्घ्वान रब्भी
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