Sunday, September 22, 2013

उनको मनाना भी खूब आता है

हद तक सताना भी खूब आता है
उनको मनाना भी खूब आता है

गुस्से मे होते हैं जब कभी हम
उनको मुस्कुराना भी खूब आता है

प्यार तो करती हैं हमसे बेपनाह
ये उनको छुपाना भी खूब आता है

लड़ती है अक्सर हमसे हमारे खातिर
प्यार उनको जताना भी खूब आता है

थक के सो जाने को जी करे तब वो
उनकी यादों का सिरहाना भी खूब आता है

किस तरह बयाँ करूँ अपना हाल-ए-दिल दीपक

--दीपक सिन्हा

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