हद तक सताना भी खूब आता है
उनको मनाना भी खूब आता है
गुस्से मे होते हैं जब कभी हम
उनको मुस्कुराना भी खूब आता है
प्यार तो करती हैं हमसे बेपनाह
ये उनको छुपाना भी खूब आता है
लड़ती है अक्सर हमसे हमारे खातिर
प्यार उनको जताना भी खूब आता है
थक के सो जाने को जी करे तब वो
उनकी यादों का सिरहाना भी खूब आता है
किस तरह बयाँ करूँ अपना हाल-ए-दिल दीपक
--दीपक सिन्हा
No comments:
Post a Comment