Monday, September 30, 2013

मुफ्त का एहसान न लेना यारो

मुफ्त का एहसान न लेना यारो
दिल अभी और सस्ते होंगे

--अज्ञात

Sunday, September 29, 2013

तेरी सूरत को जब से देखा है

तेरी सूरत को जब से देखा है
मेरी आँखों पे लोग मरते हैं

--अज्ञात

किसके चक्कर में पड़ रहा है तू

खामोशी को पकड़ रहा है तू
सबकी आँखों में गढ़ रहा है तू

उसकी बातों में गोल चक्कर है
किसके चक्कर में पड़ रहा है तू

क्या हुआ क्यूं झुकाए है नज़रें
बात क्या है बिगड़ रहा है तू

ठीक है हो गया जो होना था
क्या सही है जो लड़ रहा है तू

--अर्घ्वान रब्भी

Sunday, September 22, 2013

उनको मनाना भी खूब आता है

हद तक सताना भी खूब आता है
उनको मनाना भी खूब आता है

गुस्से मे होते हैं जब कभी हम
उनको मुस्कुराना भी खूब आता है

प्यार तो करती हैं हमसे बेपनाह
ये उनको छुपाना भी खूब आता है

लड़ती है अक्सर हमसे हमारे खातिर
प्यार उनको जताना भी खूब आता है

थक के सो जाने को जी करे तब वो
उनकी यादों का सिरहाना भी खूब आता है

किस तरह बयाँ करूँ अपना हाल-ए-दिल दीपक

--दीपक सिन्हा

Thursday, September 19, 2013

सबको ही प्यार की ज़रुरत है

सबको ही प्यार की, बस प्यार की ज़रुरत है
अब तो हर एक को दो चार की ज़रुरत है

लगा के फोन मुझे...मेरे दुश्मनों ने कहा
हमारे कुनबे को सरदार की ज़रुरत है

जब मेरी बाहों में बसी है तुम्हारी दुनिया
किस लिए फिर तुम्हें संसार की ज़रुरत है

अब तो सब देने को क़दमों में पड़ी है दुनिया
अब तो बस जुर्रत-ए-इनकार की ज़रुरत है

बस इसी वास्ते दुनिया में जंग जारी है
हमको सर की नहीं दस्तार की ज़रुरत है

ये दिल मेरा है, इसे तुम संभाल के रख लो
काम आएगा तुम्हे प्यार की ज़रुरत है

बुला रही ग़ज़ल आ भी जा मेरे सतलज
तेरे जैसे किसी अवतार की ज़रुरत है

--सतलज राहत

Saturday, September 14, 2013

पूछा न जिंदगी में किसी ने दिल का दुःख

पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का दुःख
शहर भर में ज़िक्र मेरी ख़ुदकुशी का है ।

--अज्ञात

Thursday, September 5, 2013

नज़र नज़र का फर्क होता है

नज़र नज़र का फर्क होता है हुस्न का नहीं
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है

--अज्ञात

दुनिया में तो कोई और भी होगा तेरे जैसा

दुनिया में तो कोई और भी होगा तेरे जैसा
पर हम, तुझे चाहते हैं, तेरे जैसों को नहीं

--अज्ञात