मेरे पीछे ये ज़माना पड़ जाये ..
जाने कब शहर से जाना पड़ जाये ..
तू किसी को भी अपना दिल दे दे ..
कही मुझको न चुराना पड़ जाये ..
छुड़ा के पीछा वो ये सोचती है
फिर से पीछे वो दीवाना पड़ जाये ..
आ भी जा के नया है इश्क मेरा ..
इससे पहले के पुराना पड़ जाये .
--सतलज राहत
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Sunday, April 22, 2012
इससे पहले के पुराना पड़ जाये .
Sunday, April 15, 2012
तुम आँखों की बरसात बचाए हुए रखना,
तुम आँखों की बरसात बचाए हुए रखना,
कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले
ये बात अलग है, हाथ कलम हो गए अपने
हम आपकी तस्वीर बनाना नहीं भूले
--सागर आज़मी
Sunday, April 8, 2012
किसी की चाह न थी दिल में तेरी चाह के बाद
नज़र मिला न सके उससे उस निगाह के बाद
वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद
मैं कैसे और किसी सिम्त मोड़ता हूँ खुद को
किसी की चाह न थी दिल में तेरी चाह के बाद
--कृष्ण बिहारी नूर
मैं भी घर पर न रहा वक़्त मुक़र्रर कर के
संग को तकिया बना कर, ख़्वाब को चादर कर के
जिस जगह थकता हूँ, पड़ा रहता हूँ बिस्तर कर के
अब किसी आन्झ का जादू नहीं चलता मुझपर
वो नज़र भूल गयी है, मुझे पत्थर कर के
यार लोगों ने बहुत रंज दिए थे मुझको
जा चुके हैं जो हिसाब बराबर कर के
उसको भी पड़ गया एक और ज़रूरी कोई काम
मैं भी घर पर न रहा वक़्त मुक़र्रर कर के
दिल की ख्वाहिश ही रही, पूछेंगे एक दिन उस से
किस को आबाद किया है मुझे बर्बाद कर के
--अज्ञात
Saturday, April 7, 2012
ये तादाद 'दोस्तों' की .. हमसे संभाली नहीं जाती
कुछ 'दुश्मन' में हो जाए तब्दील .... तो बेहतर है
ये तादाद 'दोस्तों' की .. हमसे संभाली नहीं जाती
--अमित हर्ष
Tuesday, April 3, 2012
इश्क किसी से करते हैं और किसी से निकाह करते हैं
अपनी ज़िंदगी को इश्क में फनाह करते हैं
कुछ लोग आज भी इश्क बेवजाह करते हैं
मुझे चाहने वाले अक्सर रूठ जाते हैं मुझसे
हम सच बोलते हैं यही गुनाह करते हैं
अजीब दौर चला है सुना है कि अब लोग
इश्क किसी से करते हैं और किसी से निकाह करते हैं
--अभिषेक मिश्रा
राह कब तक वो मेरी राजकुमारी देखे
प्यार का नश्शा , मोहब्बत की खुमारी देखे
जो भी देखे यहाँ .. मुझ पर तुझे तारी देखे
बस तेरे आरिज़_ओ_ रुखसार ही आते हैं नज़र
किसको फुर्सत जो यहाँ चोट हमारी देखे
मुझे भी शहर में छोटी सी सल्तनत दे दे
राह कब तक वो मेरी राजकुमारी देखे
--सतलज राहत