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जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की, बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की, बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे वो ऊंचाई किस काम की!!
--जावेद अख्तर
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