लव्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आखिरी ख़त मेरा जलाया होगा
यूँही कुछ सोच लिया होगा बिछड़ने का सबब
फिर मेरा जुर्म भी लोगों को बताया होगा
तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा
तूने किस नाम से बदला है मेरा नाम बता
किसको लिखा तो मेरा नाम मिटाया होगा
खलील उर रहमान 'कमर'