Sunday, June 29, 2014

फिर मेरा जुर्म भी लोगों को बताया होगा

लव्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आखिरी ख़त मेरा जलाया होगा

यूँही कुछ सोच लिया होगा बिछड़ने का सबब
फिर मेरा जुर्म भी लोगों को बताया होगा

तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा

तूने किस नाम से बदला है मेरा नाम बता
किसको लिखा तो मेरा नाम मिटाया होगा

खलील उर रहमान 'कमर'

प्यार उसका हज़ार के नोट जैसा

प्यार उसका हज़ार के नोट जैसा
डर लगता है नकली न हो
--अज्ञात

Sunday, June 15, 2014

मतलबी दुनिया के लोग खड़े, हाथों में पत्थर ले के

मतलबी दुनिया के लोग खड़े, हाथों में पत्थर ले के
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुक़द्दर ले के

--अज्ञात

गरीबों के महलों के ख़्वाब भी कमाल हैं

गरीबों के महलों के ख़्वाब भी कमाल हैं
महल जिनमें अमीरों को नींद नहीं आती

--अज्ञात

Friday, June 6, 2014

ये बात जो गर होती मेरे इख्तियार में

ये बात जो गर होती मेरे इख्तियार में
सदियाँ गुज़ार देता तेरे इंतज़ार में

--सतलज राहत