Thursday, February 6, 2014

कोई हल है न कोई जवाब है

कोई हल है न कोई जवाब है
ये सवाल कैसा सवाल है
जिसे भूल जाने का हुक्म है
उसे भूल जाना मुहाल है

--अज्ञात

1 comment:

  1. कोई हल न कोई जवाब है, ये सवाल कैसा सवाल है
    जिसे भूल जाने का हुक्म है, उसे भूल जाना मुहाल है

    हुईं ज़र्द फूलों की बस्तियाँ , मगर इसमें तेरी ख़ता कहां
    तुझे लोग दिल से दुवाएं दें, यही तेरे फ़न का कमाल है

    कभी आसमां की बुलंदियों से उतर के ख़ाक पे आयेंगे
    अभी पंछियों को ख़बर नहीं , ये ज़मीन वालों का जाल है

    इसी ज़र्द पेड़ की ओट में , अभी चाँद हार के सो गया
    तेरे पाक होंठों को चूम ले, ये कहां किसी की मजाल है

    इसी एक बिस्तरे-बेहिसी पे थके-थके से बदन मिले
    तेरे साथ ही वही बेदिली, ये विसाल कैसा विसाल है

    ~बशीर बद्र

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