Sunday, January 26, 2014

ठहरी ठहरी सी तबियत में रवानी आई

ठहरी ठहरी सी तबियत में रवानी आई
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई

आज फिर नींद को आँखों से बिछडते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई

मुद्दतों बाद चला उन पर हमारा जादू
मुदत्तो बाद हमें बात बनानी आई

मुद्दतो बाद पशेमा हुआ दरिया हमसे
मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई

मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आई

इतनी आसानी से मिलती नहीं फन की दौलत
ढल गयी उम्र तो गजलो पे जवानी आई

--इकबाल अशर 

4 comments:

  1. Replies
    1. बहर कौनसी हैं बताना

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  2. बहुत ही सुन्दर खूबसूरत गज़ल

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  3. सोलह रुक्न वाली बहर के अन्तर्गत है गजल ।

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