Tuesday, January 14, 2014

मैं जानता हूँ कि ख़ामोशी में ही मस्लहत है

मैं जानता हूँ कि ख़ामोशी में ही मस्लहत है
मगर यही मस्लहत मेरे दिल को खल रही है

जावेद अख्तर
[मस्लहत=समझदारी]

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