Saturday, March 30, 2013

कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद कर

अपनी तनहाई तेरे नाम पे आबाद करे
कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद करे
--अज्ञात

Thursday, March 28, 2013

उसकी खातिर मै गैर था जिसका होकर रोया

जो कभी अपना नहीँ था उसे खोकर रोया
उसकी खातिर मै गैर था जिसका होकर रोया

इस उदासी का सबब मै किसी से क्या कह दूँ
कभी दिल ही मे, कभी पलके भिगोकर रोया

प्रमोद तिवारी

Wednesday, March 27, 2013

रूह में कोई ग़म है पोशिदा

रूह में कोई ग़म है पोशिदा
ज़िन्दगी बेसबब उदास नहीं

अज्ञात

Monday, March 25, 2013

ये तेरे आंसू मुझे आजमा के निकले हैं ...

गमों में डूबे तो फिर जगमगा के निकले हैं ...
यहाँ डूबे थे ... बड़ी दूर जा के निकले हैं ....

तेरी बाहों में बड़े प्यार से आये थे मगर ..
तेरे पंजो से बहुत छटपटा के निकले हैं ...

तूने भी दिल को दुखने की इन्तहा कर दी...
हम भी महफ़िल से मगर मुस्कुरा के निकले हैं ..

कई लोगो से मेरी नौकरी की बात हुई ...
बहुत से काम तो हाथो में आ के निकले हैं ...

मेरे ही ज़ब्त ने बेचैन किया है तुझको ..
ये तेरे आंसू मुझे आजमा के निकले हैं ...

बड़े तैराक हैं ये मैंने खुद भी देखा है ...
यहाँ कूदे थे .. बहुत दूर जा के निकले हैं ..

धड़कने रुक गयी , दम भी निकल गया मेरा..
सभी अरमान तेरे पास आ के निकले हैं ..

हमने हर नौकरी बर्बाद होके छोड़ी है ...
सबको लगता है के पैसा कमा के निकले हैं ..

ऐसे वैसो को भी दिल में बसा लिया ''सतलज'
बहुत से लोग तो बातें बना के निकले हैं ...

Monday, March 18, 2013

वो अजब शक्स था ऐ ज़िन्दगी...

वो अजब शक्स था ऐ ज़िन्दगी...
जिसे समझ के भी न समझ सके...
मुझे चाहता भी गज़ब था...
मुझे छोड़ के भी चला गया...

--अज्ञात

Sunday, March 17, 2013

नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया

नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आ कर चला गया

जिसे ढूँढ़ते रहे हम लोगों की भीड़ में
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया

मैं उसकी खामोशी का सबब पूछता रहा
वो किस्से इधर उधर के सुना कर चला गया

ये सोचता हूँ के मैं कैसे भुलाऊंगा अब उसे
उस शक्स को जो मुझको पल भर में भुला कर चला गया

Saturday, March 16, 2013

याद न कर

वो तझको भूले हैं, तो तुझपे भी लाज़िम है 'मीर'

खाक डाल, आग लगा, नाम न ले, याद न कर

--मीर

बहुत बुरा है मगर...

बहुत बुरा है मगर फिर भी तुम से अच्छा है
ये दिल का दर्द जो हर पल साथ रहता है

--अज्ञात

Sunday, March 10, 2013

मेरे दिल पे नक्श तेरी यादों का

मेरे दिल पे नक्श तेरी यादों का
ऐसे में कैसे किसी और को सोचूँ

--अज्ञात

Saturday, March 2, 2013

ये वो कमाई है .... जिसपर ‘कर’ नहीं लगता

पास ‘दोस्ती की दौलत’ हो तो डर नहीं लगता
ये वो कमाई है .... जिसपर ‘कर’ नहीं लगता

छुपाया था यूं तो बड़े जतन से .... ज़माने से
पर उस ‘राज़’ से कोई .. बेखबर नहीं लगता

ये कवायद .. ‘एहतियात-ओ-सब्र’ मांगती है
इश्क में कोई .. ‘जोर-ओ-ज़बर’ नहीं लगता

सारे पुर्जे जिस्म के ....... जवाब दे रहे है
कभी दिल .. तो कभी जिगर नहीं लगता

वो कहते है ‘अमित’ का कोई .. सानी नहीं है
ऐसा भी नहीं कोई उससे बेहतर नहीं लगता

समझौता उसने भी कर लिया हालात से शायद
अब 'अमित' में भी ...... वो ‘तेवर’ नहीं लगता

--अमित हर्ष