Tuesday, September 13, 2011

तुझे यकीन मेरी जान नहीं आएगा

हमारी बातो पे ईमान नहीं आएगा
तो तुझे इश्क का ये ज्ञान नहीं आएगा

अरे नादान मोहब्बत का इम्तेहान है ये
कोई सवाल अब आसान नहीं आएगा

मुझे खुद उठ के आसमान चूम लेना है
मेरी ज़मीन पे आसमान नहीं आएगा

है अब ये हाल के सोती नहीं वो रातो में
उसे लगा था मेरा ध्यान नहीं आएगा

आ ज़रा बैठ हम दो-चार घडी बात करे
इतनी जल्दी तो इत्मिनान नहीं आएगा

मुझे यकीन है मोहब्बत में जान भी दे दूं
तुझे यकीन मेरी जान नहीं आएगा

भटकता हू भरी बरसात में सूखा सूखा
अब भी मिलने, क्या बे-ईमान नहीं आएगा?

तू बस ये मान वो आएगा, तो वो आएगा
नहीं आएगा, तो ये मान नहीं आएगा

जो भी उलझन है तेरे दिल कि वो बता मुझको
झिझक रहेगी तो फिर ज्ञान नहीं आएगा

कई ठिकाने इसी शहर में पता है मुझे
कोई हमारे दरमियान नहीं आएगा

हिजरत कर गए सब ख्वाब मेरी आँखों से
के दिल में अब कोई अरमान नहीं आएगा

फिर उसी इश्क के पंजे में फंस गया 'सतलज'
कोई बचाने तेरी जान नहीं आएगा

--सतलज राहत

1 comment:

  1. हिजरत कर गए सब ख्वाब मेरी आँखों से
    के दिल में अब कोई अरमान नहीं आएगा

    फिर उसी इश्क के पंजे में फंस गया 'सतलज'
    कोई बचाने तेरी जान नहीं आएगा.

    खूबसूरत नज़्म. बधाई.

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