बहुत बेचैन करती है, बहुत बेहाल करती है
किसी से chat करती है, किसी को कॉल करती है
--सतलज राहत
If you know, the author of any of the posts here which is posted as Anonymous.
Please let me know along with the source if possible.
Thursday, September 29, 2011
बहुत बेचैन करती है, बहुत बेहाल करती है
Wednesday, September 28, 2011
वही कारवाँ, वही रास्ते, वही जिंदगी वही मरहले
वही कारवाँ, वही रास्ते, वही जिंदगी वही मरहले
मगर अपने अपने मकाम पर, कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
--Shakeel Badayuni
Thursday, September 22, 2011
कहा करती थी भूल जाऊँगी शाम होते ही रो पड़ी हो न ?
मेरी किस्मत की हथकड़ी हो न ?
तुम मेरे साथ हर घडी हो न ?
मैं सोच सोच के थक जाता हूँ
तुम मेरी सोच से बड़ी हो न ?
बहुत तड़पा हूँ तुम्हे पाने को
तुम भी तकदीर से लड़ी हो न ?
मुझे इस रास्ते में छोड़ के
तुम मेरी सोचो में चल पड़ी हो न ?
कहा करती थी भूल जाऊँगी
शाम होते ही रो पड़ी हो न ?
मैं तनहा किस तरह रह पाऊंगा
जिंदगी तुम बहुत बड़ी हो न ?
सफर में लुफ्त बहुत आएगा
ठोकरों राह में पड़ी हो न?
बुलंदियों, गुरूर था तुमको
मेरे पैरों में गिर पड़ी हो न ?
सतलज आज तक नहीं भूला
एक लड़की का फुलझड़ी होना
--सतलज रहत
Friday, September 16, 2011
मरहम न सही एक ज़ख्म ही दे दो
मरहम न सही एक ज़ख्म ही दे दो
महसूस तो हो के कोई हमें भूल नहीं
--जावेद अख्तर
Tuesday, September 13, 2011
तुझे यकीन मेरी जान नहीं आएगा
हमारी बातो पे ईमान नहीं आएगा
तो तुझे इश्क का ये ज्ञान नहीं आएगा
अरे नादान मोहब्बत का इम्तेहान है ये
कोई सवाल अब आसान नहीं आएगा
मुझे खुद उठ के आसमान चूम लेना है
मेरी ज़मीन पे आसमान नहीं आएगा
है अब ये हाल के सोती नहीं वो रातो में
उसे लगा था मेरा ध्यान नहीं आएगा
आ ज़रा बैठ हम दो-चार घडी बात करे
इतनी जल्दी तो इत्मिनान नहीं आएगा
मुझे यकीन है मोहब्बत में जान भी दे दूं
तुझे यकीन मेरी जान नहीं आएगा
भटकता हू भरी बरसात में सूखा सूखा
अब भी मिलने, क्या बे-ईमान नहीं आएगा?
तू बस ये मान वो आएगा, तो वो आएगा
नहीं आएगा, तो ये मान नहीं आएगा
जो भी उलझन है तेरे दिल कि वो बता मुझको
झिझक रहेगी तो फिर ज्ञान नहीं आएगा
कई ठिकाने इसी शहर में पता है मुझे
कोई हमारे दरमियान नहीं आएगा
हिजरत कर गए सब ख्वाब मेरी आँखों से
के दिल में अब कोई अरमान नहीं आएगा
फिर उसी इश्क के पंजे में फंस गया 'सतलज'
कोई बचाने तेरी जान नहीं आएगा
--सतलज राहत
Friday, September 9, 2011
Thursday, September 8, 2011
बहुत मुश्किल सही हालात लेकिन
बहुत मुश्किल सही हालात लेकिन
तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ
--आमिर बिन अली
Tuesday, September 6, 2011
लोग सीने में क़ैद रखते हैं
लोग सीने में क़ैद रखते हैं
हमने सर पे चढ़ा लिया दिल को !!!
--दशमेश गिल फिरोज
Sunday, September 4, 2011
रवायतोँ की सफेँ तोड़कर बढ़ो वरना
रवायतोँ की सफेँ तोड़कर बढ़ो वरना
जो तुमसे आगे हैँ वो रास्ता नहीँ देँगे
--राहत इंदोरी
सफेँ=कतारेँ
दिल सुलगता है तेरे सर्द रवैये पे मेरा
दिल सुलगता है तेरे सर्द रवैये पे मेरा
देख इस बर्फ ने क्या आग लगा रखी है
--अनवर मसूद
चैन लेने नहीं देते ये किसी तौर मुझे
चैन लेने नहीं देते ये किसी तौर मुझे
तेरी यादों ने जो तूफ़ान उठा रखा है
--वसी शाह
काफिले रेत हुए दश्त-ए-जुनूं में कितने
काफिले रेत हुए दश्त-ए-जुनूं में कितने
फिर भी आवारा मिजाजों का सफर जारी है
--जावेद अख्तर
हम बुलाएं तो उन्हें काम निकल आते हैं
बेसबब यूं ही सर-ए-शाम निकल आते हैं
हम बुलाएं तो उन्हें काम निकल आते हैं
क्या बताऊँ इन हुस्न वालों की ए जावेद
हम बुलाएं तो परदा, वरना सर-ए-आम निकल आते हैं
--जावेद अख्तर
Friday, September 2, 2011
मैं खुद ही लौट आऊंगा मुझे नाकाम होने दो
अभी सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो
मैं खुद ही लौट आऊंगा मुझे नाकाम होने दो
मुझे बदनाम करने के बहाने ढूँढ़ते हो क्यूँ
मैं खुद हो जाऊँगा बदनाम पहले नाम होने दो
अभी मुझ को नहीं करना है एतराफ-ए-शिकस्त अपना
मैं सब तसलीम कर लूँगा ये चर्चा आम होने दो
मेरी हस्ती नहीं अनमोल फिर बिक नहीं सकता
वफायें बेच लेना पर ज़रा नीलाम होने दो
नए आगाज़ में ही हौसला क्यूँ तोड़ बैठे हो
सभी कुछ तुम ही जीतोगे ज़रा अंजाम होने दो
--अज्ञात