मेरी आँखों को ये सब कौन बताने देगा
ख़्वाब जिसके हैं, वही नींद न आने देगा
उसने यूं बाँध लिया खुद को नए रिश्तों में
जैसे मुझ पर, कोई इलज़ाम ना आने देगा
सब अंधेरों से कोई वादा किये बैठे हैं
कौन ऐसे में मुझे शम्मा जलाने देगा
भीगी झील, कँवल, बाग, महक, सन्नाटा
ये मेरा गाँव मुझे शहर न जाने देगा
वो भी आँखों में कईं ख़्वाब लिए बैठा है
ये तसव्वुर ही कभी नींद न आने देगा
अब तो हालात से समझौता ही कर लीजे वसीम
कौन माज़ी की तरफ लौट के जाने देगा
--वसीम बरेलवी
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Sunday, May 8, 2011
उसने यूं बाँध लिया खुद को नए रिश्तों में
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