Monday, May 16, 2011

नादानी की हद

नादानी की हद है, ज़रा देख तो उसे मोहसिन

मुझे खो कर मेरे जैसा ढूँढ रहा है

--मोहसिन

और भी कर देता है दर्द में इजाफा

और भी कर देता है दर्द में इजाफा
तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना
--अज्ञात

http://www.freesms4.com/2010/08/26/tery-hoty-huey-gheroon-ka-dilasa-daina/

तबदीली जब भी आती है, मौसम की अदाओं में

तबदीली जब भी आती है, मौसम की अदाओं में
किसी का यूं बदल जाना, बहुत याद आता है
--अहमद फराज़

क्या सच में मर जाएँ उसे पाने की खातिर

अपने वादे पे यकीन दिलाने की खातिर
क्या सच में मर जाएँ उसे पाने की खातिर

--अमोल सहारन

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हमने मरने के इलावा, जिंदगी में क्या किया

इश्क भी इक बेबसी थी, बेबसी में क्या किया
हमने मरने के इलावा, जिंदगी में क्या किया
--लियाक़त अली असीम

Wednesday, May 11, 2011

जब भी माँगा वही माँगा जो मुक़द्दर में न था

जब भी माँगा वही माँगा जो मुक़द्दर में न था
अपनी हर एक तमन्ना से शिकायत है मुझे !!

--अज्ञात

इसका जवाब किसी शायर ने यूं दिया

अपने मुक़द्दर का तो मिल ही जायेगा ए खुदा
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नहीं

--अज्ञात

Sunday, May 8, 2011

किसी न किसी पे कोई ऐतबार हो जाता है

किसी न किसी पे कोई ऐतबार हो जाता है
अजनबी कोई शक्स भी यार हो जाता है
खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा
खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है

--अज्ञात

उसने यूं बाँध लिया खुद को नए रिश्तों में

मेरी आँखों को ये सब कौन बताने देगा
ख़्वाब जिसके हैं, वही नींद न आने देगा

उसने यूं बाँध लिया खुद को नए रिश्तों में
जैसे मुझ पर, कोई इलज़ाम ना आने देगा

सब अंधेरों से कोई वादा किये बैठे हैं
कौन ऐसे में मुझे शम्मा जलाने देगा

भीगी झील, कँवल, बाग, महक, सन्नाटा
ये मेरा गाँव मुझे शहर न जाने देगा

वो भी आँखों में कईं ख़्वाब लिए बैठा है
ये तसव्वुर ही कभी नींद न आने देगा

अब तो हालात से समझौता ही कर लीजे वसीम
कौन माज़ी की तरफ लौट के जाने देगा

--वसीम बरेलवी

Thursday, May 5, 2011

कुबूल हमने किये जिसके गम खुशी की तरह

किया है प्यार जिसे हमने जिंदगी की तरह
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह

किसे खबर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चांदनी की तरह

बढ़ा के प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह

सितम तो ये है के वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किये जिसके गम खुशी की तरह

कभी न सोचा था हमने कतील उसके लिए
करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह

--कतील शिफाई

Wednesday, May 4, 2011

है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा।

मुहब्बत की वापिस निशानी करें।
शुरू फिर जो चाहें कहानी करें।।

है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा।
हिसाब अब लिखें या जुबानी करें।।

चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।

है रुत पर भला बस किसी का चला।
चलो बातें ही हम सुहानी करें।।

खरीदे बुढापे को कोई नहीं।
सभी तो पसन्द अब जवानी करें।।

बहुत जी लिये और मर भी लिये।
बता क्या तेरा जिन्दगानी करें।।

रवायत नहीं ‘श्याम’ जब ये भली।
तो फिर बातें क्यों हम पुरानी करें।

--श्याम सखा

Source : http://gazalkbahane.blogspot.com/2011/05/gazal-shyam-skha-shyam.html

Sunday, May 1, 2011

गुलज़ार साहब कहते है न....

गुलज़ार साहब कहते है न....

काश तुम्हारे जाने पर
कुछ फर्क तो पड़ता जीने में
प्यास न लगती पानी की या ,नाखून बढ़ना बंद हो जाते
बाल हवा में न उड़ते या धुंआ निकलता सांसो से
सब कुछ वैसे ही चलता है ...
बस इतना फर्क पड़ा है मेरी रातो में
नींद नहीं आती तो अब सोने के लिए
इक नींद की गोली रोज़ निगलनी पड़ती है !

love is always beautiful......