बड़ा खुशनुमा है ये एहसास यूं ही
वो आने लगे हैं ज़रा पास यूं ही
ये हर बात पे मशवरा क्यों है गोया
समझने लगे वो हमें खास यूं ही
यूं गैरों से मिलना न मसला बड़ा है
मगर चुभ रही है ये इक फांस यूं ही
है हिजरत की बातें न जाने ये कैसी
उखड़ने लगी है मेरी सांस यूं ही
समझ लें इशारे वो ख़ुद इस ग़ज़ल में
लगाए हुए है ये दिल आस यूं ही
आशीष प्रकाश
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