*तजुर्बे के मुताबिक़, खुद को ढाल लेता हूं,,!*
*कोई प्यार जताए तो, जेब संभाल लेता हूं,,,!!*
*नहीं करता थप्पड़ के बाद, दूसरा गाल आगे,,!*
*खंजर खींचे कोई, तो तलवार निकाल लेता हूं,,,!!*
*वक़्त था सांप की, परछाई डरा देती थी,,!*
*अब एक आध मै, आस्तीन में पाल लेता हूं,,!!*
*मुझे फासने की, कहीं साजिश तो नहीं,,!*
*हर मुस्कान ठीक से, जांच पड़ताल लेता हूं,,,!!*
*बहुत जला चुका उंगलियां, मैं पराई आग में,,!*
*अब कोई झगड़े में बुलाए, तो मै टाल देता हूं,,,!!*
*सहेज के रखा था दिल, जब शीशे का था,,!*
*पत्थर का हो चुका अब, मजे से उछाल लेता हूं,,,,!!*
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