ख़याल से भी खूबसूरत था वो , ख़्वाब से ज्यादा नाजुक
गवां दिया हमने ही उसको , देर तक आज़माने में ..
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Monday, August 15, 2016
ख़याल से भी खूबसूरत था वो
दे दिया क्या क्या मुझे
चाँद चेहरा जुल्फ दरिया , बात खुशबू, दिल चमन
एक तुझे देकर खुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे
#बशीर_बद्र
Tuesday, August 9, 2016
मौत उसकी जिसका ज़माना करे अफ़सोस
मौत उसकी जिसका ज़माना करे अफ़सोस
यूं तो सभी आये हैं दुनिया में मरने के लिए
जो लौट आएं तो कुछ कहना नहीं
जो लौट आएं तो कुछ कहना नहीं बस देखना उन्हें गौर से
जिन्हें मंज़िलों पे खबर हुई के ये रास्ता कोई और था
--अज्ञात
Saturday, August 6, 2016
रात तेरे ख्वाब .. मददगार गुज़रे
भूलने लगे जो विसाल-ए-यार गुज़रे
लम्हात-ए-याद मगर यादग़ार गुज़रे
कट गई तमाम शब देखते देखते
रात तेरे ख्वाब .. मददगार गुज़रे
फ़क़त एक इश्क़ से घबरा गए आप
ये हादसे संग मेरे .. कई बार गुज़रे
मिलो तुम हरदम महंगाई की तरह
उम्मीद लिए हम सरे-बाज़ार गुज़रे
ज़रुरतमंद हूँ ये ख़बर क्या फ़ैली
बचकर सरेराह दोस्त-यार गुज़रे
मुफ़्त अच्छी है शायरी ‘अमित’ की
कहते हुए दर से मेरे खरीदार गुज़रे
--अमित हर्ष