Saturday, April 12, 2014

जिस नगर भी जाओ, किस्से हैं कमबख्त दिल के

जिस नगर भी जाओ, किस्से हैं कमबख्त दिल के

कोई ले के रो रहा है, कोई दे के रो रहा है

--अज्ञात

1 comment:

  1. ha ha ha... hain zamaane mein rishwaton ke silsile, tum bhi kuchh le de ke mujh se wafa kar lo...

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