Wednesday, February 26, 2014

कुज सानू मरण दा शौक वी सी

कुज उंज वी राहवां औखियाँ सन
कुज गल्ल विच गम दा तौख वी सी

कुज शहर दे लोक वी ज़ालिम सन
कुज सानू मरण दा शौक वी सी

अज़ीम मुनीर नियाज़ी

कौन कहता है एक तरफ़ा प्यार सच्चा नहीं होता

रिश्तों का धागा इतना कच्चा नहीं होता
किसी का दिल तोडना अच्छा नहीं होता
प्यार तो दिल की आवाज़ है
कौन कहता है एक तरफ़ा प्यार सच्चा नहीं होता

--अज्ञात

Monday, February 17, 2014

ज़िन्दगी इस आस में कट गयी

ज़िंदगी इस आस में कट गयी
काश मैं और तुम होते

--अज्ञात

Saturday, February 15, 2014

ये आईने तुझे तेरी खबर क्या देंगे

ये आइने तुझे तेरी खबर क्या देंगे
आ मेरी आँखों में देख ले तू कितना हसीन है

--अज्ञात

Sunday, February 9, 2014

यूं तो हर ग़ज़ल तेरी बात से निकलती है

खलल, ख्यालात .. हालात से निकलती है
यूं तो हर ग़ज़ल तेरी बात से निकलती है

वही तो है जो ढल जाती है अश’आरों में
आवाज़ जो दिल-ओ-जज़्बात से निकलती है

बड़ी दिलकश है वो जो ख़्वाबों की कहानियां
वो दास्ताँ इन्हीं शाम-ओ-रात से निकलती है

बन के दरिया समन्दर में तब्दील हो गई
नदी वो सकरे जल-प्रपात से निकलती हैं

आप तलाश रहे है .. अंजाम के मुहाने पे
वजह हर वजह की शुरुआत से निकलती है

सुनो, समझो, संभालो रखो मर्ज़ी तुम्हारी
बात अब ‘अमित’ के हाथ से निकलती है

--अमित हर्ष

Thursday, February 6, 2014

कोई हल है न कोई जवाब है

कोई हल है न कोई जवाब है
ये सवाल कैसा सवाल है
जिसे भूल जाने का हुक्म है
उसे भूल जाना मुहाल है

--अज्ञात

Tuesday, February 4, 2014

कितना आसान था तेरे हिजर में मरना जानां

कितना आसान था तेरे हिजर में मरना जानां
फिर भी इक उमर लगी जान से जाते जाते
--अज्ञात
(From Noorjahan gazal.. itne marassim the ke aate jaate)