Sunday, September 30, 2012

mohabbat haar jaati hai...

वफ़ा की जंग मत लड़ना ये बेकार जाती है
ज़माना जीत जाता है.. मोहब्बत हार जाती है

हमारा तजकिरा छोडो, हम ऐसे लोग हैं जिनको
ज़माना कुछ नहीं कहता... जुदाई मार जाती है

--अज्ञात

Wednesday, September 26, 2012

na jaane auro ko

na jaane auro ko kaisa lagta hoon main...

ye aarzoo hai ke bahar se dekh lu khud ko. 

unknown..

mujhe paana itna mushkil to nahi

मुझे पाना इतना मुश्किल तो न था
तीन लफ़्ज़ों के लिए कुछ मेहनत तो कर

--अज्ञात

beeti hui zindagii kii

बीती हुई ज़िंदगी की कुछ इतनी सी कहानी है
कुछ हम खुद बर्बाद हुए, कुछ उनकी मेहरबानी है

--अज्ञात

Friday, September 21, 2012

शाम के साये, जो सूरज को छुपाने निकले

शाम के साये, जो सूरज को छुपाने निकले
हम दिए ले के, अंधेरों को मिटाने निकले

और तो कोई न था, जो जुर्म-ए-मोहब्बत करता,
एक हम ही थे, जो ये रस्म निभाने निकले

शहर में, दश्त में, सेहरा में भी तुझको पाया
ऐ गम-ए-यार, तेरे कितने ठिकाने निकले

--अज्ञात

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे
ओ पागल ... अपनी ज़िंदगी जी लेना, वैसे प्यार अच्छा करते हो

--अज्ञात

दीवान-ए-गज़ल जिसकी मोहब्बत में लिखा था

दीवान-ए-गज़ल जिसकी मोहब्बत में लिखा था
वो शक्स किसी और की किस्मत में लिखा था

वो शेर कभी उसकी नज़र से नहीं गुज़रा
जो डूब के जज़्बात की शिद्दत में लिखा था

दुनिया में तो ऐसे कोई आसार नही थे
शायद तेरा मिलना भी क़यामत में लिखा था

तू मेरे लिए कैसे बदल सकता था खुद को
हरजाई ही रहना तेरी फितरत में लिखा था

--अज्ञात