कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता है
तू मुझसे दूर कैसी है मैं तुझसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
प्यार एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं की मेरे आँखों में आंसू हैं
जो तू समझे तो मोती हैं, जो न समझे तो पानी है
समुन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है, मैं इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता
--डा कुमार विश्वास
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Sunday, May 20, 2012
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
Sunday, May 13, 2012
दिल की दिल में ना रह जाये ये कहानी कह लो
दिल की दिल में ना रह जाये ये कहानी कह लो
चाहे दो हर्फ़ लिखो चाहे ज़बानी कह लो
मैंने मरने की दुआ माँगी वो पूरी ना हुई
बस इस को मेरे जीने की कहानी कह लो
सर_सर-ए-वक़्त उड़ा ले गई रूदाद-ए-हयात
वही अवराक़ जिन्हें अहद-ए-जवानी कह लो
[sar_sar-e-vaqt = winds of time; rudaad-e-hayaat = tale of life]
[avaraaq = pages; ahad-e-javaanii = youthful period]
तुम से कहने की ना थी बात मगर कह बैठा
अब इसे मेरी तबियत की रवानी कह लो
वही इक क़िस्सा ज़माने को मेरा याद रहा
वही इक बात जिसे आज पुरानी कह लो
हम पे जो गुज़री है बस उस को रक़म करते हैं
आप बीती कहो या मर्सियाख़्वानी कह लो
--अज्ञात
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है
--डा कुमार विश्वास
Monday, May 7, 2012
कायम है ज़माने में रिश्वतों के सिलसिले
कायम है ज़माने में रिश्वतों के सिलसिले
तुम भी कुछ ले दे के मुझसे मोहब्बत कर लो
--अज्ञात