दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है
नोक-ए-खंजर ही बताएगी के खूँ कितना है
जमा करते रहे हो अपने को ज़र्रा ज़र्रा
वो ये क्या जाने बिखरने में सुकूं कितना है
--शहरयार
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Wednesday, March 9, 2011
दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूं कितना है
Tuesday, March 8, 2011
ज़ुल्म इतना मत कर की दुश्मनी सी लगे
ज़ुल्म इतना मत कर की दुश्मनी सी लगे
हमने सभी को तुम्हे दोस्त बता रखा है
--अज्ञात
झूठ की भी, सच के जैसी शक्सियत यारो !!
बहुत मुश्किल है कहना, क्या सही है, क्या गलत यारो !
है अब तो झूठ की भी, सच के जैसी शक्सियत यारो !!
दरिंदों को भी पहचाने, तो पहचाने कोई कैसे?
नज़र आती है, चेहरे पर, बड़ी मासूमियत यारो !
जिधर देखो, उधर मिल जायेंगे, अखबार नफरत के
बहुत दिन से, मोहब्बत का न देखा, एक खत यारो !!
वहाँ पर पड़े, कांटेदार ज़हरीला ही उगता है
सियासत की ज़मीन में, है न जाने क्या सिफत यारो !!
[सिफत=quality]
तुम्हारे पास, दौलत की ज़मीन का, एक टुकड़ा है
हमारे पास है, ख़्वाबों की पूरी सल्तनत यारो !!
--कमलेश भट्ट कमल
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