Wednesday, December 1, 2021

दौलत ए हुस्न

अब समझा मैं तेरे रुखसार पे तिल का मतलब

दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रखा है

कमर मुरादाबादी

Saturday, July 3, 2021

ये दिया भी जला के देख लिया

ज़ख़्म-ए-दिल भी दिखा के देख लिया 
बस तुम्हें आज़मा के देख लिया 

दाग़-ए-दिल से भी रौशनी न मिली 
ये दिया भी जला के देख लिया 

शिकवे मिटते हैं क्यूँकर आप से आप 
सामने उन के जा के देख लिया 

मुज़्दा ऐ हसरत-ए-दिल-ए-पुर-शौक़ 
उस ने फिर मुस्कुरा के देख लिया 

आबरू और भी हुई पानी 
अश्क-ए-हसरत बहा के देख लिया 

तर्क-ए-उल्फ़त के सुन लिए इल्ज़ाम 
राज़-ए-दिल को छुपा के देख लिया 

जो न देखा था आज तक हम ने 
दिल की बातों में आ के देख लिया 

कोई अपना नहीं यहाँ ऐ 'अर्श' 
सब को अपना बना के देख लिया

अर्श मलसियानी

Wednesday, May 12, 2021

ना नीम ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे

ना नीम, ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे
ये तो मेरे दिल के मसले हैं, उसी ज़ालिम से हल होंगे
--अज्ञात

Saturday, May 8, 2021

जैसे चराग हो हवाओं के सामने

मेरी वफाएं हैं उनकी वफाओं के सामने
जैसे चराग हो हवाओं के सामने

गर्दिशें तो चाहती हैं मेरी तबाही मगर
चुप है वो किसी की दुआओं के सामनेे

--अज्ञात

Friday, April 30, 2021

Prescription है पर दवा नहीं है

कोई किस्त है जो अदा नहीं है
साँस बाकी है और हवा नहीं है

नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम
प्रिस्क्रिप्शन हैं पर दवा नहीं है

आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के
मंजर सचमुच अच्छा नहीं है

हरेक शामिल है इस गुनाह में
कुसूर किसका है पता नहीं है।

Tuesday, February 23, 2021

दुख हमको अगर अपना बताना नहीं आता

दुख हमको अगर अपना बताना नहीं आता
तुमको भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता

अज्ञात

अब सबके बाद आते हो

मतलब ये के भूला नहीं हूं
ये भी नहीं के याद आते हो

पहले सबसे पहले आते थे तुम
अब सबके बाद आते हो ।

अज्ञात

Sunday, February 14, 2021

मेरी तलब के तकाजे पर थोड़ा गौर तो कर

मेरी तलब के तकाजे पर थोड़ा गौर तो कर
मैं तेरे पास आया हूं, खुदा के होते हुए

-- अज्ञात

Sunday, January 31, 2021

आगे मुकद्दर आपका है

जलते घर को देखने वालों
भूस का छप्पर आपका है
आग के पीछे तेज़ हवा
आगे मुकद्दर आपका है

उसके क़त्ल पर मैं भी चुप था
मेरी बारी अब आई
मेरे क़त्ल पर आप भी चुप हो 
अगला नंबर आपका है

नवाज़ देवबंदी