بھیگی ہوئی اک شام کی دہلیز پہ بیٹھے
ہم دل کے سلگنے کا سبب سوچ رہے ہیں
भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं
#ShakebJalali #deathAnniversary
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بھیگی ہوئی اک شام کی دہلیز پہ بیٹھے
ہم دل کے سلگنے کا سبب سوچ رہے ہیں
भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं
#ShakebJalali #deathAnniversary
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो!
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो!!
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें!
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो!!
--अज्ञात
शिकायतों की पाई पाई जोड़कर रखी थी मैंने,
उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया…”॥
रस्सी जैसी जिंदगी...तने-तने हालात.....
एक सिरे पे ख़्वाहिशें...दूजे पे औकात....!
--अज्ञात