Monday, November 13, 2017

भीगी हुई इक शाम की दहलीज पे बैठे

بھیگی ہوئی اک شام کی دہلیز پہ بیٹھے
ہم دل کے سلگنے کا سبب سوچ رہے ہیں
भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं

#ShakebJalali #deathAnniversary

Sunday, July 2, 2017

सफ़र जारी रखो

आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो!
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो!!
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें!
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो!!

--अज्ञात

Saturday, June 17, 2017

शिकायतों की पाई पाई

शिकायतों की पाई पाई जोड़कर रखी थी मैंने,

उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया…”॥

बहुत अंदर जला देती हैं

बहुत अंदर तक जला देती है,

वो शिकायतें जो बयाँ नही होती....

Friday, June 9, 2017

रास आ गए हैं

रास आ गये हैं कुछ लोगों को हम
कुछ लोगों को ये बात रास नही आई

अज्ञात

Tuesday, May 30, 2017

रस्सी जैसी ज़िन्दगी

रस्सी जैसी जिंदगी...तने-तने हालात.....

एक सिरे पे ख़्वाहिशें...दूजे पे औकात....!

--अज्ञात