Tuesday, May 26, 2015

ज़हर देता है मुझे कोई दवा देता है

ज़हर देता है मुझे कोई दवा देता है
जो भी मिलता है गम को बढ़ा देता है

क्यूँ सुलगती है मेरे दिल में पुरानी यादें
कौन बुझते हुए शोलों को हवा देता है

हाल हस हस के बुलाता है कभी बाहों में
कभी माज़ी रो रो के सदा देता है

अज्ञात

Monday, May 4, 2015

इतना तो किसी ने चाहा भी नहीं होगा

इतना तो किसी ने चाहा भी नहीं होगा
जितना सिर्फ सोचा है मैंने तुम्हें

-अज्ञात

डाले हुए हैं हम सबने अपने ऐबों पर परदे

डाले हुए हैं हम सबने अपने ऐबों पर परदे

और हर शख्स कह रहा है दुनिया खराब है

-अज्ञात