Saturday, November 29, 2014

कुछ तो कम होते ये लम्हे मुसीबतों के

कुछ तो कम होते ये लम्हे मुसीबतों के

तुम एक दिन तो मिल जाते, दो दिन की ज़िन्दगी में

--अज्ञात

Monday, November 24, 2014

पहले हम दोनों वक़्त चुराकर लाते थे

पहले हम दोनों वक़्त चुराकर लाते थे

अब तब मिलते हैं जब भी फुरसत होती है

--जावेद अख्तर

उसने लिखा भूल जाओ मुझे

उसने लिखा भूल जाओ मुझे

हमने भी लिख दिया कौन हो तुम?

--अज्ञात

Thursday, November 6, 2014

अजीब सी बेताबी

इक अजीब सी बेताबी है तेरे बिन

रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता

--अज्ञात

गुरूर कहाँ जाता है

कब्र की मिटटी हाथ में लिए सोच रहा हूँ

लोग मर जाते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है

--अज्ञात

कुछ लोग पेश आ रहे हैं बड़े प्यार से

फिर कोई दर्द मिलेगा, तैयार रह ऐ दिल;
कुछ लोग पेश आ रहे बडे प्यार से!

--अज्ञात