यूं इश्क़ का असर होगा सोचा ना था
उसका दिल मेरा घर होगा सोचा ना था
मासूम निगाहों से उलझ बैठे क्या पता था
निशाना हम और तीर-ए-नज़र होगा सोचा ना था
इतनी मासूमियत से जान लेगा वो हमारी
इल्ज़ाम-ए-क़त्ल हम पर होगा सोचा ना था
इश्क़ की बाज़ी जीतने का जुनूं इस हद तक
की दाव पर दिल जिगर होगा सोचा ना था
जादू ऐसा चला देगा कोई दिल पर
ये सब से बेख़बर होगा सोचा ना था
नाज़ो अदा की बिजलियों के तमन्नाई थे हम भी मगर
इतना हसीन सितमगर होगा सोचा ना था
--रेहान खान
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