Dil se

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Monday, February 24, 2025

खामोशी की तह में, छुपा लीजिए सारी उलझनें

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खामोशी की तह में, छुपा  लीजिए सारी उलझनें  शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता 
Monday, February 19, 2024

कुछ भी नहीं है ख़ास इन दिनों

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कुछ भी नहीं है ख़ास इन दिनों  तू जो नहीं है पास इन दिनों  अज्ञात 
1 comment:
Sunday, August 27, 2023

तुझमें ही कहीं रब रहता है

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तेरा साथ मेरे हाथ में जब रहता है  मानो मेरे कदमों मे सब रहता है   तू रूठे तो खुदा रूठे मुझसे  यानी तुझमे ही कहीं रब रहता है   https://www.yo...
Tuesday, August 15, 2023

सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है

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बदन पर घाव दिखा कर जो पेट भरता है  सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है   --अज्ञात

मैं लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा

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मेरे कुछ ख्वाबों को मुझे जलाना पड़ा, कुछ ख्वाहिशों को भीतर दबाना पड़ा, भरी थी आँखे मगर किसको फ़िकर थी, मैं लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा...

सीख कर गया वो मोहब्बत तुझसे

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सीख कर गया वो मोहब्बत तुझसे अब जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा  --अज्ञा
Wednesday, November 9, 2022

चांदी सोना एक तरफ

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चांदी सोना एक तरफ तेरा होना एक तरफ एक तरफ तेरी आखें जादू टोना एक तरफ
Monday, October 31, 2022

नीयत-ए-शौक भर ना जाए कहीं

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नीयत-ए-शौक भर ना जाए कहीं तू भी दिल से उतर ना जाए कहीं आज देखा है तुझ को देर के बाद आज का दिन गुज़र ना जाए कहीं --अज्ञात 

कर रहा था ग़म-ए-जहां का हिसाब

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कर रहा था ग़म-ए-जहां का हिसाब आज तुम याद बेहिसाब आये फैज़ अहमद फैज़ 
Monday, October 17, 2022

और वो आँखों से ग़ज़ल कह गए

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हम अल्फाज़ों को ढूंढते रह गए और वो आँखों से ग़ज़ल कह गए --राहत इन्दोरी 
Sunday, October 16, 2022

अगर वो पूछ ले हमसे

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अगर वो पूछ लें हमसे, कहो किस बात का गम है। तो फिर किस बात का गम हो, अगर वो पूछ लें हमसे।। अगर वो पूछ लें हमसे, कहाँ रहते हो शामों में। तो शा...
Wednesday, December 1, 2021

दौलत ए हुस्न

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अब समझा मैं तेरे रुखसार पे तिल का मतलब दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रखा है कमर मुरादाबादी
Sunday, July 11, 2021

करीब उनके आने के दिन आ रहे हैं

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Saturday, July 3, 2021

ये दिया भी जला के देख लिया

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ज़ख़्म-ए-दिल भी दिखा के देख लिया  बस तुम्हें आज़मा के देख लिया  दाग़-ए-दिल से भी रौशनी न मिली  ये दिया भी जला के देख लिया  शिकवे मिटते हैं क...
Wednesday, May 12, 2021

ना नीम ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे

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ना नीम, ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे ये तो मेरे दिल के मसले हैं, उसी ज़ालिम से हल होंगे --अज्ञात
Saturday, May 8, 2021

जैसे चराग हो हवाओं के सामने

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मेरी वफाएं हैं उनकी वफाओं के सामने जैसे चराग हो हवाओं के सामने गर्दिशें तो चाहती हैं मेरी तबाही मगर चुप है वो किसी की दुआओं के सामनेे --अज्ञ...
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Friday, April 30, 2021

Prescription है पर दवा नहीं है

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कोई किस्त है जो अदा नहीं है साँस बाकी है और हवा नहीं है नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम प्रिस्क्रिप्शन हैं पर दवा नहीं है आँख भी ढक लीजिये सं...
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Tuesday, February 23, 2021

दुख हमको अगर अपना बताना नहीं आता

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दुख हमको अगर अपना बताना नहीं आता तुमको भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता अज्ञात
1 comment:

अब सबके बाद आते हो

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मतलब ये के भूला नहीं हूं ये भी नहीं के याद आते हो पहले सबसे पहले आते थे तुम अब सबके बाद आते हो । अज्ञात
Sunday, February 14, 2021

मेरी तलब के तकाजे पर थोड़ा गौर तो कर

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मेरी तलब के तकाजे पर थोड़ा गौर तो कर मैं तेरे पास आया हूं, खुदा के होते हुए -- अज्ञात
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