ज़मीन से पहले, खुले आसमान से पहले
न जाने क्या था यहाँ इस जहाँ से पहले
हमें भी, रोज ही मरना है, मौत आने तक
हमें भी ज़िंदगी देनी है, जान से पहले
ख़याल आते ही मंजिल से अपनी दूरी का
मैं थक सा जाता हूँ अक्सर थकान से पहले
जो मेरे दिल में है, उसके भी दिल में है, लेकिन
वो चाहता है, कहूँ मैं.... ज़बान से पहले
हमें पता है, हमारा जो हश्र होना है
नतीजा जानते हैं, इम्तिहान से पहले
--राजेश रेड्डी
If you know, the author of any of the posts here which is posted as Anonymous.
Please let me know along with the source if possible.
Saturday, January 19, 2013
नतीजा जानते हैं, इम्तिहान से पहले
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment