मेरी आँखों में नमी का ही समां रहता है
दिल में एक दर्द जो मुद्दत से जवां रहता है
वो जो कहता था कह बिछड़ेंगे तो मर जायेंगे
अब ये मालूम नहीं है के कहाँ रहता है
एक उसको मेरी चाहत की ज़रूरत न रही
वरना मेरा तो तलबगार जहां रहता है
वो समझता है के मैं भूल गया हूँ उसको
खुद से भी ज्यादा मुझे जिस का ध्यान रहता है
यूं उदासी मेरे सर पर है मुसल्लत जैसे
जैसे दिल पे कोई ज़ख्मों का निशां रहता है
--अज्ञात
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Tuesday, November 8, 2011
मेरी आँखों में नमी का ही समां रहता है
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