Tuesday, October 14, 2014

कसम तुम को मेरे सर की मेरे पहलू से ना सरको

कसम तुम को मेरे सर की मेरे पहलू से ना सरको
अगर सरको तो यूं सरको कलम कर के मेरे सर को

पड़ा रहने दो कदमो में ना ठुकराओ मेरे सर को मज़ा उल्फत में जब आये ना मैं सरकूं ना तुम सरको

जीवन बिताया सारा इंतजार करते करते
बन जाऊ तेरी प्यारी तुझे प्यार करते करते!!!!!!!!

अज्ञात

Wednesday, October 1, 2014

जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,

जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की, 
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना  है ,

           पर  जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे
               वो ऊंचाई  किस  काम  की!!

--जावेद अख्तर