Wednesday, February 17, 2010

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूठी क़सम से आप का इमान तो गया

दिल लेके मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
उलटी शिकयतें रही एहसान तो गया

अब शाय-ए-राज़-ए-इश्क़ गो ज़िल्लतें हुई
लेकिन उसे जता तो दिया, जान तो गया

[शाय-ए-राज़-ए-इश्क़=secret of love being known; ज़िल्लत=humiliation]

देखा है बुतकदे में जो ऐ शेख़ कुछ ना कुछ
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया

डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरज़ू को मैं
सुन-सान घर ये क्यूँ ना हो, मेहमान तो गया

गो नामाबर से ख़ुश ना हुआ पर हज़ार शुक्र
मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया

होश-ओ-हवास-ओ-ताब-ओ-तवाँ "दाग" जा चुके
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया

[होश-ओ-हवास-ओ-ताब-ओ-तवाँ=sense, sensibility, strength, health]

--दाग देहलवी

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